मरे भी तो उम्र भर के लिए

सत्येन्द्र कुमार सिंह, लिटरेरी एडिटर-ICN

प्रेम की डोर
से
बंधे हम-तुम,

बढ़ चले कदम
जीवन के क्षितिज की ओर,
जो शीतल हवा के मध्य
बैठे स्याह रात में,
भोर की प्रथम प्रहर तक
कर-बद्ध

तो अमर प्रेम का भाव
बरबस ही बोल उठा
“जीवन के परे
संग रहे परस्पर
कि
मरे भी तो उम्र भर के लिए।”

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